Monday, April 6, 2009

मेरा जन्मदिन

पिछला हफ्ता बहुत ही मुश्किल भरा था. मेरे जन्मदिन को कैसे मनाया जायेगा केवल यही चर्चा का विषय होता था.
दिक्कत क्या थी? कोई एक हो तो बताये.
जन्मदिन मनाने की पहली दिक्कत - शनिवार या रविवार होना चाहिए. लेकिन ६ अप्रैल को सोमवार था.
दुसरी दिक्कत साल पुरा होने से पहले हि कैसे मना ले.
पहली दिक्कत कोई बड़ी दिक्कत नहीं थी और दुसरी दिक्कत को नानी ने दूर कर दिया.
हिन्दी तिथी के हिसाब से 27 मार्च को मैं साल भर की हो गई थी.
लेकिन मुझे तो जन्मदिन के दिन ही जन्मदिन मनाना था सो मैंने अपनी तबियत ही खराब कर ली. मम्मी पापा ने प्रोगराम कैनसल कर दिया.
लेकिन हम लोग जंगल में तो रहते नही इसलिए रविवार को सोसाइटी के बच्चों को बुला लिया गया.




जब सब बच्चे पहुंचे तो पता चला कि 5 अप्रैल को
मेरा नहीं सोना दीदी का जन्मदिन है.




दिवार पर लिख देने और केक के सामने खड़ा कर देने से
क्या सोना दीदी का जन्म दिन मेरा हो जाएगा.




ऊपर से मुंह मे केक भी लगा दिया.


6 अप्रैल को यानी आज मेरे जन्मदिन वाले दिन मैंने चैन से सोना पसन्द किया.
सही किया न…………..

Thursday, April 2, 2009

मेरा पहला वेलकम

हैलो, ये मैं हुं पाखी
इस दुनिया में मेरी पहली सुबह. \
सच बताऊ तो इस दिन मुझे छोड़कर बाकी सब लोग खुश थे.
क्यों?......
नौ महिने मैं बड़े सुकुन से थी इसका पता मुझे बाहर आते ही चल गया था. अप्रैल की गर्मी थी और निकलते ही डाक्टर प्रिया ने उलटा लटका के दो चपत लगा दी.
ये था मेरा पहला वेलकम.
इसके बाद तो बस सिलसिला शुरु हो गया. कभी किसी नर्स के पास तो कभी लाइट बाक्स में. लेकिन पुरे पांच घंटे बाद मां के पास आकर लगा कि ये सही जगह है………