Saturday, January 28, 2012
Thursday, January 26, 2012
Wednesday, January 25, 2012
Annual Function in School
पाखी की स्कूल में वार्षिक उत्सव में पाखी ने भी डांस किया था . पाखी से पूछा की कैसा लगा तो कहा की बहुत मज़ा आया मम्मी. लेकिन मुझे तो फूल नहीं मिला था लगाने के लिए .............
असल में सभी क्लास के अलग अलग परफोर्मेंस थे. भारतीय त्योहारों के हिसाब से सब प्रोग्राम थे. पाखी के क्लास को दही हांड़ी का गाना ( मच गया शोर साडी नगरी रे ) मिला था और भी त्यौहार थे - होली ,दिवाली, दुर्गा पूजा...आदि.
Sunday, January 15, 2012
Tuesday, January 10, 2012
मेरे आँख में कुछ चिपक गया है .......
कभी कभी पाखी ऐसी हरकते करती है की मुसीबत में भी हँसी आती है ......४ या ५ जनवरी को जब पाखी खेलकर घर आ रही थी तभी लिफ्ट के पास उसकी आँख में कुछा चला गया.
मैंने कहा घर चल कर देखते है.......
घर पहुचते ही नितिन ने उसकी आंखे पानी से धुलवाई लेकिन फिर भी कुछ लग रहा था उसकी आँख में. मैंने उसे बुलाकर देखा तो आँख में कुछ चिपका है ऐसा मैंने कहा ...बस अब पाखी ने आँखे बंद कर ली और हमलोगों के बहुत समझाने पर भी नहीं खोल रही थी .
मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ............मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ............(पाखी)
बस यही कहती थी और रो रही थी . फिर भी उसको रुलाते हुए हमलोगों ने रुई और पानी से आँख धोने की कोशिश की अंत में पाखी रोते रोते सो गई और रात में बीच बीच में वही कहकर रोती रही. सुबह हम लोगो ने सोचा इतना रोई है जो रहा होगा निकल गया होगा . लेकिन पाखी सुबह उठा कर मम्मी - मम्मी कह कर बुलाई. मेरे आने पर भी उन्होंने आँखे नहीं खोली . बहुत समझाया बस यही कहती रही कि ...
मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ......मैं कैसे खोलू .
पापा, मामा, चाचा, बाबा, सब समझाते रहे. लेकिन पाखी ने तो सूरदास की मुद्रा लेली थी .
पापा ने कहा पाखी आपकी फेवरेट फ़िल्म लगाये चलो ...
नहीं ....(पाखी)
अरे पाखी luxor कौन खेलेगा ...चलो चलो .......
अरे मैं कसे खेलूंगी मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ......(पाखी)
पाखी मुझे पकड़ कर बैठ गयी थी .
पापा बोले मैगी कौन खायेगा.
मैं .....(पाखी)
चलो लेकर आते है .....
नहीं आप ले आइये ....(पाखी)
पापा मैगी लेकर आये और बोले पाखी देखो मैगी आ गयी .....
पहले बनाकर लाईये तभी खोलूंगी ....(पाखी)
मैगी आ गयी ...पाखी ने अपनी बायीं आखी खोल कर देखा और बोली मम्मी खिलाएँगी
मैंने उन्हें खिलाना और बहलाना शुरू कर दिया....
पाखी तो बहुत brave है न ...
पाखी मम्मी को देखो तो .....(फिर बायीं आँख खोलकर देखा और दोनों आँखे बंद करली )
कोई चिंता नहीं दिख रही थी उसके चहरे पर बस मम्मी पास में रहे. आसपास के लोगो को देखने की कोई बेचैनी नहीं थी . एकदम आराम से बिना आँख सिकोड़े वो बस मैगी खाती जा रही थी.
रेखा आंटी भी साफ-सफाई के लिए आ गई थी. उनके कहने पर भी वो आँखे नहीं खोल रही थी .
अंत में हार कर हमने डॉक्टर साहब के पास लेजाने की धमकी दी तो रोने लगी की नहीं जायेंगे .
मम्मी -पापा करे तो करे क्या .....हमें ही डराया जाने लगा की ...
आप ऐसे बोलेंगी तो मैं आपसे कभी भी बात नहीं करुँगी...... कभी भी आँखे नहीं खोलूंगी..(पाखी)
थक हार कर ......हम लोग प्यार से समझाने लगे और कहा मीठी गोली वाले डॉक्टर के पास चलेंगे तब वो राजी हो गयी .( मीठी गोली वाले डॉक्टर यानि होमेओपैथ )
बाईक के पास आकर भी कहने लगी की पापा के साथ आगे बैठेंगे लेकिन आँखे बंद करके .
हम दोनो ने सोचा शायद डर की वजह से नहीं खोल रही है बाईक पर बैठाने से कुछ हल निकले.
कोई फायदा नहीं हुआ. हम हॉस्पिटल पहुचे और eye डिपार्टमेंट में डॉक्टर को पूछा. डॉक्टर साहिबा ने भी बहुत पैतरेमारे लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी तो जबरदस्ती लेटकर दोनों हाथ और पैर पकड़ कर दाहिनी आँख खोली गई, उसकी ऊपर की पलक को पलट कर देखा तो छोटे से कीड़े का शेल था . डॉक्टर ने एक ड्रॉप डाला और मशीन पर आँखों की जाच करके बताया की सब ठीक है और पाखी उनसे टॉफी लेकर हँसते हुए घर आ गयी . इस पूरी कवायद में पापा ११ बजे ऑफिस गए.
मैंने कहा घर चल कर देखते है.......
घर पहुचते ही नितिन ने उसकी आंखे पानी से धुलवाई लेकिन फिर भी कुछ लग रहा था उसकी आँख में. मैंने उसे बुलाकर देखा तो आँख में कुछ चिपका है ऐसा मैंने कहा ...बस अब पाखी ने आँखे बंद कर ली और हमलोगों के बहुत समझाने पर भी नहीं खोल रही थी .
मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ............मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ............(पाखी)
बस यही कहती थी और रो रही थी . फिर भी उसको रुलाते हुए हमलोगों ने रुई और पानी से आँख धोने की कोशिश की अंत में पाखी रोते रोते सो गई और रात में बीच बीच में वही कहकर रोती रही. सुबह हम लोगो ने सोचा इतना रोई है जो रहा होगा निकल गया होगा . लेकिन पाखी सुबह उठा कर मम्मी - मम्मी कह कर बुलाई. मेरे आने पर भी उन्होंने आँखे नहीं खोली . बहुत समझाया बस यही कहती रही कि ...
मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ......मैं कैसे खोलू .
पापा, मामा, चाचा, बाबा, सब समझाते रहे. लेकिन पाखी ने तो सूरदास की मुद्रा लेली थी .
पापा ने कहा पाखी आपकी फेवरेट फ़िल्म लगाये चलो ...
नहीं ....(पाखी)
अरे पाखी luxor कौन खेलेगा ...चलो चलो .......
अरे मैं कसे खेलूंगी मेरे आँख में कुछ चिपक गया है ......(पाखी)
पाखी मुझे पकड़ कर बैठ गयी थी .
पापा बोले मैगी कौन खायेगा.
मैं .....(पाखी)
चलो लेकर आते है .....
नहीं आप ले आइये ....(पाखी)
पापा मैगी लेकर आये और बोले पाखी देखो मैगी आ गयी .....
पहले बनाकर लाईये तभी खोलूंगी ....(पाखी)
मैगी आ गयी ...पाखी ने अपनी बायीं आखी खोल कर देखा और बोली मम्मी खिलाएँगी
मैंने उन्हें खिलाना और बहलाना शुरू कर दिया....
पाखी तो बहुत brave है न ...
पाखी मम्मी को देखो तो .....(फिर बायीं आँख खोलकर देखा और दोनों आँखे बंद करली )
कोई चिंता नहीं दिख रही थी उसके चहरे पर बस मम्मी पास में रहे. आसपास के लोगो को देखने की कोई बेचैनी नहीं थी . एकदम आराम से बिना आँख सिकोड़े वो बस मैगी खाती जा रही थी.
रेखा आंटी भी साफ-सफाई के लिए आ गई थी. उनके कहने पर भी वो आँखे नहीं खोल रही थी .
अंत में हार कर हमने डॉक्टर साहब के पास लेजाने की धमकी दी तो रोने लगी की नहीं जायेंगे .
मम्मी -पापा करे तो करे क्या .....हमें ही डराया जाने लगा की ...
आप ऐसे बोलेंगी तो मैं आपसे कभी भी बात नहीं करुँगी...... कभी भी आँखे नहीं खोलूंगी..(पाखी)
थक हार कर ......हम लोग प्यार से समझाने लगे और कहा मीठी गोली वाले डॉक्टर के पास चलेंगे तब वो राजी हो गयी .( मीठी गोली वाले डॉक्टर यानि होमेओपैथ )
बाईक के पास आकर भी कहने लगी की पापा के साथ आगे बैठेंगे लेकिन आँखे बंद करके .
हम दोनो ने सोचा शायद डर की वजह से नहीं खोल रही है बाईक पर बैठाने से कुछ हल निकले.
कोई फायदा नहीं हुआ. हम हॉस्पिटल पहुचे और eye डिपार्टमेंट में डॉक्टर को पूछा. डॉक्टर साहिबा ने भी बहुत पैतरेमारे लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी तो जबरदस्ती लेटकर दोनों हाथ और पैर पकड़ कर दाहिनी आँख खोली गई, उसकी ऊपर की पलक को पलट कर देखा तो छोटे से कीड़े का शेल था . डॉक्टर ने एक ड्रॉप डाला और मशीन पर आँखों की जाच करके बताया की सब ठीक है और पाखी उनसे टॉफी लेकर हँसते हुए घर आ गयी . इस पूरी कवायद में पापा ११ बजे ऑफिस गए.
वाह पाखी वाह .....
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