अप्रैल २०११ हम लोग पूना में थे. वहा पाखी, पापा और पार्थो चाचा के साथ रंगों से खेलने लगी. एक बार जब मैं घर के काम में व्यस्त थी तब पाखी अपना काम कर रही थी. बहुत देर शांति बनी रही तब मैंने रसोई से आकर देखा तो पाखी अपने कागज़ और क्रेयोन के साथ व्यस्त थी.
3 comments:
Bahut hi badhiya pakhi...
Excellent Work Pakhi....Keep it up....(*_*)......
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