Sunday, May 16, 2010

दादा जी का नहीं मेरा जूता

7 comments:

ankur said...

ye pahnaya gaya hai ki pahna hai?
tumhara tho raik per rakha hai.



huuuuuu,mmmmmmmmm
badmashi.

रावेंद्रकुमार रवि said...

बहुत बढ़िया, जी!
--
बौराए हैं बाज फिरंगी!
हँसी का टुकड़ा छीनने को,
लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!

Akshitaa (Pakhi) said...

बढ़िया है...आपका जूता...पूरा जापानी.
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'पाखी की दुनिया' में आज मेरी ड्राइंग देखें...

रंजन said...

जय हो..

प्यार..

माधव( Madhav) said...

ये काम तो मै भी करता हूँ , यहाँ देख ले
http://madhavrai.blogspot.com/2009/11/blog-post_06.html

Akshitaa (Pakhi) said...

बढ़िया लगी..मजेदार.

_________________
'पाखी की दुनिया' में 'सपने में आई परी' !!

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

Ha..ha..ha..majedar.


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अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.